अच्छी बातें सिर्फ सुनिए मत उन्हें जीवन में उतारिये


कहानी    


अमन अपनी जिंदगी से बहुत परेशान था। ना ही अच्छी नौकरी थी और नाही कोई दूसरा अच्छा कमाई का साधन। अमन बचपन से ही बड़े शरारती किस्म का बच्चा था और कभी अपने माता पिता का कहना नहीं मानता और स्वभाव से भी बहुत ही उद्दण्डी था।

एक बार मन में कुछ सोचकर अमन अपने एक पुराने अध्यापक के घर पहुँचा जो बचपन में उसे पढ़ाया करते थे। काफी दिन बाद अपने छात्र को देखकर अध्यापक भी बहुत खुश हुए, काफी आदर सत्कार भी किया। अमन ने अध्यापक से पूछा कि बचपन से आप मुझे अच्छाई का पाठ पढ़ाते आये थे और आपने मुझे बहुत अच्छी अच्छी सीख भी दी थीं लेकिन फिर भी मैं एक सफल इंसान ना बन सका। ऐसा क्यों होता है? लोग हमें सिखाते हैं, हम अपने माता पिता और गुरुओं से इतना कुछ सीखते हैं लेकिन फिर उसका असर हमारे जीवन पर क्यों नहीं होता?

अध्यापक ने मुस्कुराते हुए कहा कि बेटा तुम जरा मेरे लिए एक शराब की बोतल ला दोगे फिर मैं तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा। अमन ने सोचा कि कैसे अध्यापक हैं अपने छात्र से शराब मंगा रहे हैं लेकिन फिर भी अमन बाजार से शराब ले आया।

अब अध्यापक ने अमन से कहा – बेटा इस शराब की बोतल को पी जाओ लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि शराब को गले से नीचे मत उतरने देना। मुँह में लेना और कुल्ला कर देना। अमन को लगा कि ये पागल हो गए हैं क्या?

अमन ने ठीक वैसे ही शराब पीना शुरू किया, वो एक घूँट पीता और कुल्ला कर देता। फिर कुछ ही देर में पूरी बोतल खाली हो गयी। अब अध्यापक ने अमन से कहा कि तुमको नशा हुआ?

अमन बोला – नहीं नशा तो नहीं हुआ

अध्यापक – अरे पूरी बोतल पी गए और तुमको नशा ही नहीं हुआ ?

अमन – नशा कैसे होगा ? जब शराब का एक घूँट भी गले से नीचे उतरा ही नहीं है

अध्यापक मुस्कुरा के बोले – बेटा मैं यही तो तुम्हें समझाना चाह रहा था कि पूरी बोतल खाली हो गयी लेकिन शराब का नशा नहीं हुआ क्यूंकि शराब का एक भी घूंट गले से नीचे गया ही नहीं था। वैसे ही मैंने तुमको बचपन में बहुत सी किताबें पढाई, तुमको काफी शिक्षा दी, काफी नैतिकता की बातें बतायीं लेकिन तुमने एक भी बात को अपने गले से नीचे नहीं उतारा, तुमने एक भी बात को अपने जीवन में नहीं उतारा। काश अगर तुमने अपने माँ बाप या अपने गुरु की बताई एक भी बात अपने जीवन में उतारी होती तो आज तुम एक सफल इंसान होते और मेरा भी सर गर्व से ऊँचा हो गया होता।

दोस्तों हम भी तो बचपन में स्कूल जाते हैं, अपने माँ बाप और अपने गुरुओं से ना जाने कितनी बार हम ज्ञान की बातें सीखते हैं और यहाँ तक कि हमारे माता पिता और गुरु बचपन में ही हमको चेतावनी भी देते हैं कि सही रास्ते पर नहीं चलोगे तो पछताओगे लेकिन हम एक भी बात अपने जीवन में नहीं उतारते। आज के समय में विद्यालय का मतलब सिर्फ डिग्री लेना हो गया है। डिग्री लो और नौकरी ढूंढो, कोई नैतिकता सीखने विद्यालय नहीं जाता, कोई इंसान बनने विद्यालय नहीं जाता सारे लोग सिर्फ पैसा कमाने की मशीन बन चुके हैं।

यही कारण है कि आज हमारे समाज में लोगों की नैतिकता का पतन हो रहा है।

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